NPS- नेशनल पेंशन सिस्टम
एक परिचय
केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त होने वाले सभी कर्मचारियों (Armed forces को छोड़कर ) के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) लागू की हुई है । जब इसे लागू किया गया था तो इसका नाम नयी पेंशन योजना रखा गया था। NPS एक स्वैच्छिक परिभाषित अंशदायी पेंशन योजना है जिसका उद्देश्य अभिदाता को जीवनकाल के दौरान बचत के माध्यम से भविष्य को सुरक्षित करना है । NPS कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के लिए बचत की आदत को विकसित करना चाहता है । प्रत्येक कर्मचारी चाहता है कि लम्बी सेवा अवधि के बाद उसे सम्मानजनक जीवन मिल सकें। किसी भी तरह कि आर्थिक तंगी का सामना न करना पड़ें।
NPS और भारत का नागरिक (All citizen of India)
NPS कर्मचारियों के साथ ही यह भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए उपलब्ध है । इसका प्रयास है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को पर्याप्त सेवानिवृत्ति आय प्रदान करने कि समस्या का समाधान खोजा जा सके। मई 2009 को जब NPS को भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए उपलब्ध कराया गया और साथ ही इसका नाम नयी पेंशन योजना से बदलकर राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली रखा गया ।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत, व्यक्तिगत बचत को एक पेंशन निधि में जमा किया जाता है जिसे गवर्नमेंट बांड , कॉर्पोरेट ऋणपत्र और शेयर युक्त विविध पोर्टफोलियो में निवेश किया जाता है। PFRDA द्वारा तय दिशानिर्देशों के अनुसार पेंशन फण्ड मैनेजर इसका निवेश करते हैं । बांड में निर्धारित ब्याज मिलने के कारण बाजार आधारित निवेश का रिस्क नहीं रह जाता है । वही पर शेयर बाजार निवेश से लाभ कि दरें बढ़ जाती हैं ।
NPS में आपके जमा अंशदान पर लाभांश प्राप्त होता है। 60 वर्ष कि आयु होने पर आप 60% राशि एकमुश्त निकाल सकते हैं और 40% राशि से आपको वार्षिकी खरीदनी पड़ेगी। आप चाहें तो पूरी राशि से वार्षिकी खरीदकर पेंशन ले सकते हैं ।
NPS और सरकारी कर्मचारी (Government Employee)
सरकारी सेवकों के मामले में उनके विभाग के DDO/TO ( आहरण एवं वितरण अधिकारी/ कोषाधिकारी) को नोडल अधिकारी नामित किया जाता है। नोडल अधिकारी के माध्यम से ही आवेदन, अकाउंट विवरण में संसोधन, रिटायरमेंट के बाद कि कार्यवाही होती है। अब तो बहुत से काम ऑनलाइन माध्यम से संपन्न हो जाते हैं । जैसे आंशिक आहरण (Partial Withdrawal), मोबाइल नंबर बदलना, अतिरिक्त निवेश आदि।
कर्मचारियों के मामले में उनके नियोक्ता (Employer) द्वारा भी अंशदान किया जाता है । केंद्र सरकार ने अप्रैल 2009 से अपने अंशदान को 10% से बढाकर 14% कर दिया है ।
NPS और कॉर्पोरेट कर्मचारी (Corporate Employee)
दिसम्बर 2011 से कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए इसे औपचारिक रूप से लागू किया गया । पॉइंट ऑफ़ प्रेजेंस(POP) के माधयम से NPS अकाउंट खोला जा सकता है और रिटायरमेंट के बाद के लिए अंशदान शुरू किया जा सकता है। आंशिक आहरण एवं Premature Exit के लिए सभी के लिए नियम एक सामान हैं।
सेवानिवृत्ति (Retirement)
रिटायरमेंट पर कोई भी चाहे तो 60% राशि की एकमुश्त निकास कर सकता है। पेंशन शुरू करना या एकमुश्त 60% निकासी करना वैकल्पिक है अर्थात आप चाहें तो 75 वर्ष की उम्र तक कोई भी निकासी न करें या पेंशन न शुरू करें ।
कमियां
और कमियों को दरकिनार कर दिया जाय तो भी एक सबसे बड़ी कमी इस पेंशन योजना में है। यहाँ न्यूनतम पेंशन की कोई गारंटी नहीं होती है। न्यूनतम पेंशन की गॉरंटी के साथ ही एक सम्मानजनक राशि होनी चाहिए।
कर्मचारी संगठन लगातार मांग कर रहें हैं कि NPS को हटाकर पुरानी पेंशन योजना को पुनःस्थापित किया जाय। राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्य सरकारों ने कर्मचारियों कि माँगो को मानते हुए अप्रैल 2022 से पुरानी पेंशन योजना को पुनःस्थापित कर दिया है। जो कि पूर्व में NPS के तहत रिटायर हो चुके कर्मचारियों पर भी लागू होगी। यह उम्मीद बंधाती है कि पूरे देश में OPS पुनर्स्थापित हो सकती है।